Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
इनलैंड वाटर डेवलपमेंट काउंसिल की कोलकाता में हुई बैठक के बाद इस जलयान को अयोध्या के लिए रवाना किया गया था। मंगलवार को मांझी घाट के पास भी नदी में पानी कम होने और दिशा भ्रम होने के कारण क्रूज को रोकना पड़ा था
कोलकाता/बलिया। कोलकाता से आठ जनवरी को अयोध्या के लिए रवाना हुआ कैटामारन इलेक्ट्रिक जलयान बुधवार को तिलापुर के पास रेत में फंस गया। सरयू नदी में पानी कम होने के चलते जलपोत आगे नहीं बढ़ पाया। 22 जनवरी को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसका उद्घाटन किया जाना है।निर्धारित शेड्यूल के मुताबिक जलयान को बुधवार को सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र के खरीद दरौली घाट से होकर गुजरना था। इसके लिए वहां पीपा पुल को भी करीब 130 फीट चौड़ाई में खोल दिया गया है। अब जलयान के गुरुवार को ड्रेनेज के बाद ही आगे बढऩे की उम्मीद है।
इनलैंड वाटर डेवलपमेंट काउंसिल की कोलकाता में हुई बैठक के बाद इस जलयान को अयोध्या के लिए रवाना किया गया था। मंगलवार को मांझी घाट के पास भी नदी में पानी कम होने और दिशा भ्रम होने के कारण क्रूज को रोकना पड़ा था। बुधवार को जलयान जेपी नगर से जैसे ही आगे बढ़ा, ढलान की वजह से पानी का लेवल काफी कम हो गया। इससे जलयान रेत (बालू) में फंस गया।
चालक मनोज के अनुसार, सरयू नदी के इस परिक्षेत्र में पानी कम होने के चलते जलयान आगे नहीं बढ़ पा रहा है। जल्द ही रास्ता निकाला जाएगा। चालक के अनुसार उनके अलावा क्रूज में दो सहायक हैं। जलयान को खरीद-वाराणसी के रास्ते 20 जनवरी को अयोध्या पहुंचना है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जलमार्ग परियोजना के तहत कोलकाता से अयोध्या के मध्य सरयू नदी के इस मार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-40 घोषित किया गया है। इसका उद्देश्य जल परिवहन सेवा के साथ ही कारोबार को भी गति देना है। 22 जनवरी को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसका उद्घाटन किया जाना है। पिछले दिनों बलिया के मैरीटार में आए मुख्यंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस जलमार्ग के जरिए जलयान चलाने की बात कही थी।
इस जलयान में 75 से 100 लोगों के बैठने की क्षमता है। कीमत लगभग 16 करोड़ रुपए है। बताया जाता है कि केंद्र व राज्य में मिलाकर कुल 111 इनलैंड वॉटर वेज है। इनमें से 11 यूपी में हैं। इनलैंड वॉटरवेज के विकास से एक तरफ जहां प्रदूषण की समस्या से निजात मिलेगी, वहीं राजस्व भी बढ़ेगा। सडक़ों पर बढ़ रहे यातायात के दबाव को भी कम करने में मदद मिलेगी।